‘यूपीकोका’ कानून पर लगी कैबिनेट की मुहर, ऐसा होगा कानून…
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को चुस्त और दुरुस्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मकोका की तर्ज पर यूपीकोका कानून का मसौदा तैयार किया है। जिसे बुधवार को योगी कैबिनेट में मंजूरी भी मिल गई है। अब इसे 14 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। अगर ये सदन में पास हो जाता है तो इसे कानून का दर्जा हासिल हो जाएगा। बता दें कि यूपी में अपराधियों और माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए अब योगी आदित्यनाथ की सरकार इस कानून को कैबिनेट में पास कर एक नया कानून मकोका की तर्ज पर अब यूपीकोका (उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) को लाकर गुंडे और माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए इस कानून का इस्तेमाल कर सकती है।
मायावती ने भी तैयार किया था मसौदा
यूपीकोका का कानून प्रदेश के लिए कोई नया कानून नहीं है। दरअसल मायावती की सरकार के दौरान भी इस कानून को अमलीजामा पहनाने की पूरी तैयारी थी, लेकिन किसी वजह के चलते उस वक्त यह कानून नहीं बनाया जा सका। जिसके बाद अब योगी सरकार इसमें कुछ बदलाव कर इसे कैबिनेट में पेश किया और अब इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। जिसके बाद ये कानून का रूप लेगा।
क्या है मकोका
महाराष्ट्र सरकार ने 1999 में मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) बनाया था। इसका मुख्य मकसद संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध को खत्म करना था। 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू कर दिया। फिलहाल महाराष्ट्र और दिल्ली में यह कानून लागू है।
इसके तहत संगठित अपराध जैसे अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी, जबरन वसूली, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश, धमकी, उगाही सहित ऐसा कोई भी गैरकानूनी काम जिससे बड़े पैमाने पर पैसे बनाए जाते हैं, मामले शामिल है। मकोका लगने के बाद आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती है।
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-किसी के खिलाफ मकोका लगाने से पहले पुलिस को एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस से मंजूरी लेनी होती है।
-इसमें किसी आरोपी के खिलाफ तभी मुकदमा दर्ज होगा, जब 10 साल के दौरान वह कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो। संबंधित संगठित अपराध में कम से कम दो लोग शामिल होने चाहिए। इसके अलावा आरोपी के खिलाफ एफआईआर के बाद चार्जशीट दाखिल की गई हो।
– यदि पुलिस 180 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं करती, तो आरोपी को जमानत मिल सकती है।
सख्त है मकोका
– मकोका के तहत पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का वक्त मिल जाता है, जबकि आईपीसी के प्रावधानों के तहत यह समय सीमा सिर्फ 60 से 90 दिन है।
– मकोका के तहत आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन तक हो सकती है, जबकि आईपीसी के तहत यह अधिकतम 15 दिन होती है।
सजा का प्रावधान
इस कानून के तहत अधिकतम सजा फांसी है, वहीं न्यूनतम पांच साल जेल का प्रावधान है।