मथुरा के जवाहरबाग हिंसा का सच
मथुरा के जवाहरबाग में हुई हिंसा के बाद सीएम अखिलेश के निर्देश पर डीजीपी जावीद अहमद मथुरा से लखनऊ लौट आए। डीजीपी ने मथुरा में हुए हिंसक घटना के बारे में एक रिपोर्ट बनाई है, जिसे सीएम को भेज दिया गया है। डीजीपी की रिपोर्ट में घटनाक्रम के विवरण के अलावा अबतक की गई कार्रवाई के बारे में बताया गया है।
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डीजीपी ने बताया है कि साल 2014 से रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में करीब ढाई-तीन हजार पुरूष महिलाएं एवं बच्चे स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह के बैनर तले जवाहर बाग में रह रहे थे। उद्यान विभाग के कार्यालयों तथा आवासीय भवनों में अनाधिकृत कब्जा कर झोपड़ी और टेंट लगाकर अपने आवास बना लिए थे। जिससे जवाहर बाग की सम्पत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा था। यही नहीं यहां रामबृक्ष यादव उग्र विचारधारा की स्थापना कर स्थानीय लोगों पर खौफ का वर्चस्व कायम कर रखा था।
किस आदेश पर गई थी पुलिस कार्रवाई
अवैध कब्जा व उग्रवाद के खिलाफ अधिवक्ता विजयपाल सिंह तोमर ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर की। जिसमें इलाहाबाद कोर्ट ने 20 मई 2015 को इन अवैध कब्जाधारियों से जवाहरबाग को खाली कराने का आदेश जारी किया गया। इसी आदेश के बाद 2 जून को कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए कई थानों की पुलिस, पीएसी के साथ कार्रवाई करने के लिए जवाहरबाग पहुंचे।
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तीन हजार की भीड़ ने पुलिस बल पर बोला हमला
पुलिस फोर्स को देखकर अतिक्रमणकारियों ने सैकड़ों महिलाओं को लाठी डंडे के साथ आगे कर दिया। वहीं पुरूष उपद्रवी हथियारों के साथ पीछे मोर्चा लिए थे। जिसमें रामवृक्ष यादव व चन्दन बोस, रिंकू, अमित, रामपाल, धीरज सिंह, वीरेश यादव, राकेश गुप्ता, लक्ष्मन पासी, सुन्दरलाल, मुन्नी लाल थे। करीब तीन हजार की भीड़ ने पुलिस व प्रशासन पर हमला बोल दिया। अतिक्रमणकारी पुरूष एवं महिलाओं ने पुलिस बल पर ईंट, पत्थर, हथगोले फेंकने शुरू कर दिए। इसके साथ ही पुलिस बल पर फायरिंग भी की गई।
ताबड़तोड़ फायरिंग से मच गया कोहराम
ताबड़तोड़ फायरिंग में फरह के थानाध्यक्ष संतोष कुमार यादव गोली लग गई जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद एसपी सिटी मुकुल दिवेदी, नगर मजिस्ट्रेट राम अरज यादव, व सिपाही भूपेन्द्र, पवन कुमार, राधाशंकर, वीरविक्रम, श्रीनिवास, बृजेश, राजकुमार यादव, असेन्द्र कुमार, हरीश कुमार पाण्डेय, संजीव कुमार, तेजेन्द्र कुमार सिंह, विद्याकांत, मुख्य आरक्षी श्रीनिवास, उप निरीक्षक प्रबल प्रताप, उप निरीक्षक विपिन कुमार व अन्य पुलिसकर्मी गम्भीर रूप से घायल हो गये।
चेतावनी का भी नहीं हुआ असर
नगर मजिस्ट्रेट रामअरज यादव एवं पुलिस अधीक्षक ग्रामीण की ओर से चेतावनी दी गयी पर उग्र भीड़ पर चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ। फायर बिग्रेड से मौसम के अनुकूल पानी की बौछार कराई गयी। लेकिन हमलावरों की ओर से लगातार पथराव व फायरिंग चलती रही।
आखिरी में पुलिस ने की फायरिंग
नगर मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार न्यूनतम बल प्रयोग करते हुए आत्मरक्षार्थ, आंसू गैस, रबरबुलेट, एन्टी राइट गन का प्रयोग करते हुए इन लोगों को शांत कराने का प्रयास किया गया, लेकिन ये लोग और अधिक उत्तेजित होकर ताबड़तोड फायरिंग करने लगे। पुलिस बल की ओर से पम्प एक्शन गन एवं सरकारी असलहों से हवाई फायरिंग कर उपद्रवियों को तितर बितर करने का प्रयास किया गया।
हालात भयावह होने पर पहुंचे डीएम
हालात भयावह होने के बाद डीएम व एसएसपी मौके पर पहुंचे। अतिरिक्त पुलिस के साथ पहुंचे अफसरों ने उपद्रवियों को दोबारा चेतावनी दी गयी। उपद्रवियों के नेताओं ने अपने लोगों को ललकार कर कहा की झोपड़ियों में आग लगाकर पीछे मोर्चा ले लो। झोपड़ियों में आग लगाते ही विस्फोट होने लगे जिसमें उनके कुछ व्यक्ति झुलस गये।
घटना में मारे गए 22 उपद्रवी
घटना में 22 उपद्रवियों की मृत्यु हुई है। जिसमें 11 लोग आग में झुलसने एवं 11 लोगों की लाठी डंडों की चोटों से मृत्यु हुई है। मृतकों में एक महिला है। 56 उपद्रवी घायल हुए हैं। सभी घायलों का उपचार कराया जा रहा है।
दो शहीद, 23 पुलिसवाले घायल
अपर पुलिस अधीक्षक नगर मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष फरह संतोष कुमार यादव शहीद हुए है। वहीं 23 पुलिसकर्मियों को फायर आर्म्स एवं लाठी डंडों की चोटें आयी हैं।
365 उपद्रवियों की हुई गिरफ्तारी
अब तक कुल 368 अभियुक्त गिरफ्तार किये गये हैं। जिसमें 58 अभियुक्त अभियोग से सम्बन्धित है तथा 310 व्यक्ति शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार हुए हैं।
अवैध असलहों का जखीरा बरामद
ऑपरेशन के दौरान 45 तमंचे 315 बोर, 2 तमंचे 12 बोर, 1 रायफल नम्बरी 315 बोर, 1 रायफल 12 बोर, 4 रायफल 315 बोर, 80 जीवित एवं खोखा कारतूस 12 बोर, 99 जीवित एवं खोखा कारतूस 315 बोर एवं 5 खोखा कारतूस 32 बोर बरामद हुए है।
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