जन्मदिन विशेष : जब घरेलू हिंसा का शिकार हुई थीं आशा भोंसले…

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पर्दे में रहने दो पर्दा न उठाओ…जैसे हजारों सुपरहिट गाने गाने वाली आशा भोंसले का जन्मदिन है। आशा 84 साल की हो गई है, इस उम्र में भी उनकी आवाज में जो मिठास और जिंदादिली झलकती है वो अभी तक किसी गायक की आवाज में नहीं है। शायद यहीं वजह है कि उनकी आवाज और गीतों से वो लोगो के दिलों पर राज करती है।

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वो जिंदगी की आशा हैं…

आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को हुआ था। पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर एक और बेटी का जन्म हुआ। महाराष्ट्रियन परिवार की पहली बेटी का नाम हेमा था, जो बाद में लता हो गईं। दूसरी बेटी का नाम रखा आशा। आशा जब भी गाती हैं, तो लगता है वक्त थम जाए। उम्र का असर अब जरूर उनकी आवाज पर दिखने लगा है। लेकिन मिठास वैसी ही है, जिंदादिली वैसी ही है। दरअसल, वो जिंदगी की आशा हैं। अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी।

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फिल्मों में एक्टिंग भी की

उन्होंने बहुत मुश्किलें झेली हैं। हर मुश्किलों ने उन्हें और मजबूत ही किया। आशा नौ साल की थीं, जब परिवार पुणे से बंबई आ गया। उन्होंने अपनी बड़ी बहन लता के साथ गाना शुरू किया। फिल्मों में एक्टिंग भी की। 1943 में एक मराठी फिल्म के लिए उन्होंने पहला गाना गाया। पहली हिंदी फिल्म 1948 में आई। हंसराज बहल की इस फिल्म का नाम था चुनरिया।

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पति गणपतराव करता था मारपीट…

पहला सोलो गाना 1949 फिल्म रात की रानी के लिए था।उन दिनों लता मंगेशकर का काफी नाम होने लगा था। लता जी ने पर्सनल सेक्रेटरी भी रख लिया था। उनका नाम था गणपतराव भोसले था। आशा जी को गणपतराव से प्यार हो गया। घर वाले तैयार नहीं हुए। दोनों घर से भाग गए। मात्र सोलह साल की उम्र में आशा ने अपने से बड़े 31 साल के गणपतराव से शादी कर ली। आशा जी के अनुसार गणपतराव ने उनको घर से निकाल दिया। गणपतराव का परिवार एक स्टार गायिका को स्वीकार नहीं कर पाया। उनके साथ मारपीट की कोशिश होती थी। आखिरकार शादी का अंत हुआ। वो अपनी मां के घर चली आईं। दो बच्चों हेमंत और वर्षा के साथ। उसके अलावा एक गर्भ में। आशा भोसले के करियर को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है।

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नैयर ने दी आशा भोसलें को पहचान

नैयर साहब ने एक तरह से आशा जी को वो पहचान दी, जिसकी वो हकदार थीं। हालांकि आशा जी इसके लिए बीआर चोपड़ा को ज्यादा श्रेय देती हैं। उनका कहना है कि किसी नई गायिका को मौका देने के लिए जो हिम्मत चाहिए, वो बीआर चोपड़ा में थी। सही है कि दोनों के बीच रिश्ते की बात ओपी नैयर हमेशा स्वीकारते थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि हमारा रिश्ता वही था, जो पति-पत्नी का होता है। लेकिन अलगाव के बाद आशा जी एक समय उस रिश्ते पर बात करने में हिचकने लगीं। ओपी नैयर से आशा जी की पहली मुलाकात 1952 में हुई थी।

जोड़ी जबरदस्त हिट हो गई

सीआईडी में नैयर साहब ने आशा जी को पहला बड़ा ब्रेक दिया था। साल था 1956। नया दौर के बाद तो ये जोड़ी जबरदस्त हिट हो गई। फिर रिश्ता प्रोफेशनल से बढ़कर भावनात्मक रूप लेने लगा। 1974 में आशा जी ने ओपी नैयर के लिए आखिरी गाना रिकॉर्ड किया। फिल्म थी प्राण जाए पर वचन न जाए। 1972 में दोनों अलग हो गए थे। ओपी नैयर से कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि मैं ज्योतिष में बहुत भरोसा करता हूं। मुझे पता था कि हमें अलग होना है। कुछ ऐसा हुआ कि मैं अलग हो गया। हालांकि वो यह कहते रहे कि उनकी जिंदगी में सबसे अहम इंसान आशा भोसले रही हैं।

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