साल का सबसे छोटा दिन आज, जानें क्या है विंटर सोल्सटिस?

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देशभर में ठंड ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है, देश के कई सारे हिस्सों में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. वही आज 21 दिसंबर है इस दिन साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लम्बी रात होती है. इस दौरान दिन सिर्फ 10 घंटे 41 मिनट का ही होगा, इस दिन को विंटर सोल्सटिस के नाम से जाना जाता है. वही विंटर सोल्सटिस को ठंड की शुरूआत का प्रतीक भी माना जाता है. इस दिन को एक बड़ी खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है, लेकिन यह होता है कैसे है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है ? आइए जानते है…

विंटर सोल्सटिस क्या है?

विंटर सोल्सटिस एक खगोलीय घटना है, जो पृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण होती है. पृथ्वी की धुरी 23.5 डिग्री झुकी हुई है और यह झुकाव पृथ्वी को सूर्य के आसपास अपने वार्षिक पथ पर घूमते हुए अलग-अलग दिशाओं में सूर्य के प्रकाश को प्राप्त करने का कारण बनता है. जब पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य से सबसे दूर होता है, तो उस दिन को “विंटर सोल्सटिस” कहा जाता है. इस दिन के बाद सूर्य का प्रक्षिप्त प्रकाश धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और दिन लंबा होने लगता है, जबकि रातें छोटी होती जाती हैं. यही कारण है कि 21 दिसंबर को सर्दियों की शुरुआत होती है और इसके बाद धीरे-धीरे मौसम में बदलाव आना शुरू होता है.

विंटर सोल्सटिस का महत्व

विंटर सोल्सटिस का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता ही है, लेकिन यह विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं में भी बहुत मायने रखता है. इसे अक्सर एक नए चक्र की शुरुआत के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसके बाद दिन फिर से बढ़ते हैं और प्रकृति में बदलाव की शुरुआत होती है. विंटर सोल्सटिस का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व कई प्राचीन सभ्यताओं में था. मिस्र, मेसोपोटामिया, और यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों में इस दिन को एक पर्व के रूप में मनाया जाता था. यह दिन सर्दियों के कठोर मौसम के बाद उम्मीद और नए जीवन की प्रतीक के रूप में देखा जाता था.

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भारत में इसका प्रभाव

विंटर सोल्सटिस का सर्दियों से गहरा संबंध है, क्योंकि यह वह समय होता है जब पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में सूर्य सबसे कम ऊंचाई पर होता है. इस दिन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से “सोलार मिनिमम” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि यह दिन सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा की न्यूनतम स्थिति का दिन है. भारत में इस दिन के बाद सर्दियों का मौसम पूरी तरह से अपने चरम पर पहुंच जाता है. उत्तर भारत में विशेष रूप से यह समय अत्यधिक ठंड का होता है और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसी ऊंची जगहों पर बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस दिन को लेकर लोग विशेष रूप से ठंड का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं और घरों में हीटर या ऊनी कपड़े का सहारा लेते हैं.

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