पीएम मोदी ने चीन से पाकिस्तान पर बोला हमला
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के अभियान को एक बड़ी जीत उस वक्त मिली जब सोमवार को ब्रिक्स देशों ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का नाम अपने घोषणापत्र में शामिल किया और इनसे तथा इनके जैसे तमाम आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
ऐसा कहा जाता है कि गोवा में बीते साल हुए आठवें ब्रिक्स सम्मेलन में चीन ने घोषणापत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को शामिल करने का विरोध किया था।
read more : कोहली की निगाहें अब ‘सचिन’ के ‘रिकार्ड’ पर …
घोषणापत्र में कहा गया..
शियामेन घोषणापत्र में कहा गया है, “हम क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर और तालिबान, इस्लामिक स्टेट (आईएस), अलकायदा और इससे संबद्ध संगठन ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, टीटीपी और हिज्बुल-तहरीर द्वारा की गई हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हैं।
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमर और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने शिरकत की।
मुंबई आतंकी हमलों के लिए लश्कर ए तैयबा जिम्मेदार
जेईएम प्रमुख मसूद अजहर को भारतीय सेना के प्रतिष्ठानों पर घातक सीमापार हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। भारत ने अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का रुख किया था लेकिन चीन ने बार-बार इस प्रस्ताव की राह में रोड़ा अटकाया है।2008 के मुंबई आतंकी हमलों के लिए लश्कर ए तैयबा जिम्मेदार है। इसमें 166 भारतीयों और विदेशी नागरिकों की मौत हो गई थी।
शियामेन घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों सहित दुनियाभर में हुए सभी आतंकवादी हमलों की निंदा की
घोषणापत्र में कहा गया, “आतंकवाद की सभी रूपों में निंदा की जाती है। आतंकवाद के किसी भी कृत्य का कोई औचित्य नहीं है।पाकिस्तान का नाम लिए बगैर घोषणापत्र में कहा गया है, “हम इस मत की पुष्टि करते हैं कि जो कोई भी आतंकी कृत्य करता है या उसका समर्थन करता है या इसमें मददगार होता है, उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।”
ब्रिक्स देशों का कहना है
ब्रिक्स देशों का कहना है कि आतंकवाद करने वाले और इसमें सहयोग देने वालों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।घोषणापत्र में आतकंवाद को रोकने और इससे निपटने के लिए देशों की प्राथमिक भूमिका और जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए जोर दिया गया कि देशों की संप्रभुता और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का सम्मान करते हुए आतंक के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।
घोषणापत्र में कहा गया है
घोषणापत्र में कहा गया है, “हम आतंकवादी हमलों की निंदा करते हैं, जिस वजह से निर्दोष अफगान नागरिकों की मौत हुई है। इस हिंसा को तत्काल खत्म करने की जरूरत है। हम अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के तहत अफगानिस्तान में शांति की बहाली और राष्ट्रीय सुलह के लिए लोगों को सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताते है। हम आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए अफगान सुरक्षाबलों के प्रयासों का समर्थन करते हैं
कट्टरपंथ का खात्मा
घोषणापत्र में कहा गया, “हम सभी देशों से आतंकवाद से निपटने, कट्टरपंथ का खात्मा करने, आतंकवादी संगठनों में भर्तियों (विदेशी लड़ाकों सहित) को रोकने, आतंकवाद का वित्तपोषण बंद करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हैं।
इनमें धनशोधन, हथियारों की आपूर्ति, नशीले पदार्थो की तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियां रोकने, आतंकवादी अड्डों को ध्वस्त करना, आतंकवादियों द्वारा नवीनतम सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियोंके जरिए सोशल मीडिया सहित इंटरनेट का दुरुपयोग रोकना शामिल हैं।”
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार होनी चाहिए
घोषणापत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से व्यापक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी गठबंधन की स्थापना करने और इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र की समन्वयक की भूमिका के लिए समर्थन जताने का आह्वान किया गया है।घोषणापत्र में कहा गया है, “हम जोर देकर कहते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार होनी चाहिए।
इसमें संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र, अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी और मानवीय कानून, मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता भी शामिल हैं।
इसके मुताबिक, “हम संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) को अंतिम रूप देने और इसे पेश करने का आह्वान करते हैं।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)