वाराणसी में पहली बार महात्मा गांधी कब और क्यों आए ?
वाराणसीः यूं तो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने पूरे भारत की यात्रा की. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका कब और क्यों महादेव की नगरी काशी में आना हुआ. तो आइए चलते हैं उस यात्रा पर जब बापू ने पहली बार यहां पग पडे. गांधी जी पहली बार 22 फरवरी 1902 को बनारस आए. बापू का पहली बार काशी आना उनकी निजी यात्रा थी. इस यात्रा में बापू विश्वनाथ गली से होकर विश्वनाथ मंदिर गए थे. अपने संस्मरण में उन्होंने इसका विस्तार से जिक्र किया है. उन्होंने तत्कालीन माहौल, यहां रहने वालों की गतिविधियों के साथ ही मंदिर और उसके आसपास के माहौल के बारे में वर्णन किया है. उनकी दूसरी यात्रा 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी को हुई. उसी दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी जिसमें बापू शामिल हुए थे.
तीसरी यात्रा में छात्रों को किया संबोधित
तीसरी बार बापू 20 फरवरी 1920 को बनारस आए थे. यहां पर उन्होंने 21 फरवरी 1920 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया था. तब तक वह भारतीय राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्षितिज पर छा चुके थे. चौथी यात्रा में 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में उन्होंने शिरकत की थी. इसके साथ ही अंतिम बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में बापू शामिल हुए. 21 जनवरी 1942 को बापू ने आखिरी बार बनारस की यात्रा की थी. काशी उन्हें बेहद पसंद थी.
बीएचयू की स्थापना की प्रेरणा थे बापू
आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155 वी जयंती मना रहा है. बापू का इस शहर से खास लगाव था. वह 11 बार बनारस आए थे. वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में भी शामिल हुए थे. उन्होंने मदन मोहन मालवीय को काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रेरणा दी थी. बताते चलें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय, भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय और महात्मा गांधी का विशेष नाता है. महामना मदन मोहन मालवीय ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया था.
छात्र अधिष्ठाता प्रोफेसर अनुपम कुमार नेमा बताते हैं कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का मुख्य योगदान था. उसके साथ ही महात्मा गांधी की प्रेरणा भी थी.
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काशी में ही रखी स्वच्छ भारत की नींव
महात्मा गांधी चाहते थे कि नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो जिसको महामना ने पूरा किया. महात्मा गांधी ने काशी में ही स्वच्छ भारत की नींव रखी थी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर विश्वविद्यालय कैंपस में कई कार्यक्रम कराए जाते हैं. जिसमें छात्र-छात्राएं सभी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. महात्मा गांधी के जन्मदिन पर कराए जाने वाले कार्यक्रमों में जो भी छात्र भाग लेते हैं, उन्हें सम्मानित भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में कुलपति प्रोफेसर छात्र छात्राएं शहर कर्मचारी लोग भाग लेते हैं.