प्रसाद की शुद्धता का सवाल, अयोध्या में बैन की मांग तो मथुरा- प्रयागराज में बदलाव
लखनऊ: देश के मशहूर मंदिर तिरुपति बालाजी के लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल के विवाद के बाद अब इसका असर देश के कई राज्यों में देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं इसका अच्छा खासा असर उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों पर भी पड़ा है. इस घटना के बाद अयोध्या में जहां प्रसाद पर बैन की मांग तो मथुरा- प्रयागराज के बड़े मंदिरों की प्रसाद व्यवस्था और नियम में बदलाव किए गए हैं.
मिठाई की जगह फल- फूल का भोग…
बता दें कि प्रदेश में बढ़ते विवाद के बीच मथुरा में धर्म रक्षा संघ ने ‘प्रसादम’ व्यंजनों की प्राचीन शैली पर वापस लौटने के अपने फैसले की घोषणा की है. यानी अब मिठाइयों की जगह फलों, फूलों और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बने प्रसाद को शामिल किया जाएगा.
संगम नगरी में प्रसिद्ध मंदिरों पर लगी रोक…
बता दें कि प्रदेश में बढ़ते विवाद के बीच संगम नगरी प्रयागराज में शंकरी मंदिर, बड़े हनुमान और मनकामेश्वर समेत कई मंदिरों ने भक्तों को प्रसाद के रूप में मिठाई और बाहर से तैयार अन्य वस्तुएं लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
लखनऊ में घर का प्रसाद चढ़ा सकेंगे श्रद्धालु
लखनऊ के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर ने भी सोमवार को भक्तों द्वारा बाहर से खरीदे जाने वाले प्रसाद पर प्रतिबंध लगा दिया है. कहा जा रहा है कि भक्त घर में बने प्रसाद या फल का भोग ही भगवान को लगा सकते है. इतना ही नहीं मंदिर प्रबंधन ने कहा कि हम लोग प्रसाद की शुद्धता सुनिश्चित करने के
लिए भी कदम उठा रहे हैं. साथ ही गुणवत्ता जांच करने और संभावित रूप से अपना खुद का प्रसाद बनाने की योजना भी इसमें शामिल हैं.
‘लड्डू-पेड़ा का प्रसाद’ बनाएगा बड़े हनुमान मंदिर का प्रबंधनतंत्र…
इसी कड़ी में संगम नगरी के मशहूर लेटे हुए बड़े हनुमान मंदिर के संरक्षक और श्रीमठ बाघंबरी गद्दी के प्रमुख महंत बलबीर गिरि जी महाराज ने कहा है कि कॉरिडोर का निर्माण पूरा होने के बाद मंदिर प्रबंधतंत्र खुद श्री बड़े हनुमान मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ‘लड्डू-पेड़ा’ प्रसाद तैयार करेगा.
पुजारियों की देखरेख में तैयार हो प्रसादः सत्येंद्र दास
गौरतलब है कि तिरुपति मंदिर के लड्डू में चर्बी और मछली का तेल मिलने के बाद अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने बाहरी एजेंसियों द्वारा तैयार प्रसाद को बैन करने की मांग की है. इतना ही नहीं उन्होंने मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की शुद्धता पर चिंता जताई और आग्रह किया कि सभी प्रसाद मंदिर के पुजारियों की देखरेख में तैयार किए जाने चाहिए.
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मिलावट की कम संभावना वाले वस्तुओं का बने प्रसाद
इस संबंध में काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने एक बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि भारत के सभी देवालयों के पूज्य संतो, शंकराचार्यों और धर्माचार्यों के माध्यम से काशी विद्वत परिषद ने विचार विमर्श किया है. निर्णय लिया गया है कि सभी सुचिता और पवित्रता पूर्ण जो भी खाद्य वस्तु हो उसी का भोग लगे. इसमें बताशे, इलाइची दाना और सूखे मेवे या ऐसी वस्तु हो जिसमें मिलावट की कम संभावना हो. इसी वस्तुओं का प्रसाद इस्तेमाल किया जाए.
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इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जो लोग पेड़ा, लड्डू आदि का उपयोग करना चाहते हैं वह देवालय गौशाला का निर्माण करें, इन्हीं गौशाला से प्राप्त शुद्ध घी और दूध का इस्तेमाल कर प्रसाद बनाएं और उसका वितरण करें.