जैसे-जैसे खेल में उतरने लगा हॉकी मुझमें उतरने लगी-ललित उपाध्याय
कभी हॉकी, जूतें, कीट खरीदने तक के नही थे पैसे, आज लोगों ने बैठाया सिर आंखों पर
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले ओलंपियन ललित उपाध्याय के रविवार को वाराणसी पहुंचने पर काशी के स्पोर्ट्स खिलाड़ियों में गजब का उत्साह दिखा. लेकिन जिस ललित उपाध्याय के पास कभी हॉकी, जूतें, कीट खरीदने तक के पैसे नहीं थे आज काशी ही नही पूरा देश सिर आंखों पर बैठाया है. ललित उपाध्याय के संघर्षों और खेल के प्रति उनके समर्पण और परिवार के सहयोग की सर्वत्र चर्चाएं हो रही हैं.
.गौरतलब है कि काशीवासियों ने अपने होनहार खिलाड़ी का जबर्दस्त स्वागत किया था. पदक जीतने वाले ललित उपाध्याय को सरकार ने डिप्टी एसपी बनाया है. इस दौरान ललित उपाध्यय और उनकी माता ने मीडिया के जरिए अपने खेल जीवन के संघर्ष की कहानी भी साझा की. वरुणा पार शिवपुर क्षेत्र के रहनेवाले ललित उपाध्यय इकलौते दो बार के ओलंपिक पदक विजेता हैं.
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पेरिस ओलंपिक से लौटे भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी ललित उपाध्याय ने कहा कि देश के लिए खेलना और पदक जीतना बड़ी बात है. देश के लिए पदक जीतना एक अलग तरह का अहसास है. पूरी टीम ने पदक जीतने के लिए काफी मेहनत की थी. मैच के दौरान दिमाग में चलता था कि खाली हाथ देश वापस नहीं लौटना है.
खेलने से रेलवे में सरकारी नौकरी मिल जाती है – ललित की मां
ललित उपाध्यय की मां की बताती है कि हमने सुना था कि खेलने से रेलवे में सरकारी नौकरी लग जाती है. इसी लालसा में हमने ललित को हमेशा खेलने के लिए प्रेरित किया. बाबा विश्वनाथ की इतनी असीम कृपा रही है कि आज ललित पेरिस ओलंपिक से पदक लेकर आए. बाबा ने हमें बहुत कुछ दिया है, जितना हम सोच भी नहीं सकते थे. हम बहुत ही साधारण परिवार से हैं. शुरूआती दिनों में ललित के पास हॉकी, जूतें, कीट खरीदने तक के पैसे नहीं थे. सब मांग कर ही ललित किया करते थे. आज बाबा ने इतना आर्शीवाद दे दिया कि ललित खुद बच्चों को खेल के प्रति काफी सहयोग करते हैं.
इस दौरान ने अपने खेल से जुड़ी बातें बताई. उन्होंने कहा कि
ललित ने बताया कि मध्यवर्गीय परिवार से होने की वजह से नौकरी हासिल करने के लिए खेलना शुरू किया, लेकिन जैसे-जैसे खेल में उतरने लगा हॉकी मुझमें उतरने लगी. यूपी कॉलेज से खेलना शुरू किया था. जीत की भूख इतनी कि दिन में तीन-तीन घंटे अभ्यास करता था. हॉकी ने मुझे पूरा किया है. शुरूआती दिनों में कठिनाइयां आती है लेकिन अगर माता-पिता, गुरु का साथ और ़मेहनत सब कुछ आसान कर देती है.
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बाबा विश्वनाथ जो चाहते हैं वहीं होता है
ललित ने कहा मैं बहुत ही भाग्यशाली हूं. देश के लिए पदक जीतना एक अलग अनुभव है. जहां भारत ने फ्रांस के यवेस डू मनोइर स्टेडियम में स्पेन पर 2-1 से हराकर पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल किया. वहीं भारत ने ओलंपिक में लगातार दो कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. मैं सौभाग्यशाली हूं कि भारत के लिए पदक लाने का मौका मुझे मिला है. काशी से जुड़े होने की वजह से यह और भी अधिक खास बन जाता है. मैं यह भी समझता हूं कि मेहनत अपनी जगह हैं लेकिन बाबा विश्वनाथ जो चाहते हैं,वहीं होता है.
आपको बता दें भारत ने 1972 के म्यूनिख खेलों में हॉकी में कांस्य पदक जीता था. इसके बाद 52 वर्षों में पहली बार लगातार कांस्य हॉकी पदक जीते. वहीं भारत ने छह पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक 2024 की यात्रा समाप्त की है. इन पदकों में पांच कांस्य पदक और एक रजत पदक शामिल हैं.
Written By- Anchal Singh Raghuvanashi