राष्ट्रपति भवन का “दरबार हाल” और “अशोक हाल” का बदला गया नाम…

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नई दिल्ली: देश की राजधानी स्थित राष्ट्रपति भवन के अंदर बने दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदल दिया गया है. राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि दरबार हाल का नाम अब गणतंत्र मंडप और अशोक हाल का नाम अशोक मंडप होगा. दरबार हाल राष्ट्रपति भवन का वह जगह है जहां राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं, जबकि अशोक हाल मूल रूप से एक बॉलरूम है. सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि दरबार का मतलब भारतीय शासकों और अंग्रेजों की अदालतों और सभाओं से है. भारत के गणतंत्र बनने के बाद यह अपनी प्रासंगिकता खो चुका है. “गणतंत्र की अवधारणा प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में गहराई से शामिल है, इसलिए इस ‘गणतंत्र मंडप’ इस जगह का एक सही नाम है.

दरबार हॉल की खासियत…

बता दें कि राष्ट्रपति भवन का सर्वाधिक भव्य कक्ष दरबार हॉल ही है, जिसका नाम अब गणतंत्र मंडप कर दिया गया है. दरबार हॉल को पहले थ्रोन रूम के नाम से जाना जाता था. यहां पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार ने 15 अगस्त, 1947 को शपथ ली थी. वहीं, साल 1977 में राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के निधन के मौके पर दरबार हॉल को भारत के पांचवें राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिए इस्तेमाल किया गया था. इस जगह पर राष्ट्र के माननीय राष्ट्रपति द्वारा असैन्य और सैन्य सम्मान दिए जाते हैं और नई सरकार के शपथ समारोह दरबार हॉल में ही आयोजित किए जाते हैं.

Durbar Hall - Rajasthan, India | Udaipur, India tour, Heritage hotel

इसकी 42 फुट ऊंची दीवारें सफेद मार्बल से सजी हुई हैं. गुंबद परिधि में 22 मीटर और भूमि से 25 मीटर ऊपर बताया जाता है. दोगुने गुंबदीय आकार के डोम के केंद्र में छिद्र सहित डबल डोम आकृति है. इससे दरबार हॉल में सूर्य की रोशनी प्रवेश करती है जो इसकी कला को स्पष्ट करती है. दरबार हॉल में इसकी छत से लटका हुआ 33 मीटर की ऊंचाई है.

अशोक हॉल (अशोक मंडप) की खासियत…

बता दें कि सरकार के आदेश के बाद अब अशोक हॉल अशोक मंडप के नाम से जाना जाएगा. राष्ट्रपति भवन की ऑफिशियली बेवसाइट के मुताबिक कलात्मक रूप से निर्मित विशाल यह स्थान अब महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों, विदेशों के मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसे पहले स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग में लाया जाता था. इस कमरे की छत और फर्श दोनों का ही अपना आकर्षण है. इसका फर्श पूर्ण रूप से लकड़ी का बना हुआ है और इसकी सतह के नीचे स्प्रिंग लगे हुए हैं. अशोक हॉल की छत तैल पेंटिंगों से सुसज्जित हैं.

अशोक हॉल, राष्ट्रपति भवन (1929)*

हॉल में लगे हैं बेल्जियम के झूमर

बताया जा रहा है कि इसमें बेल्जियम के कांच के झूमर लगे हैं. ऑर्केस्ट्रा के लिए स्थान के रूप में स्टेट बॉल रूम में एक मचान भी डिजायन किया गया था, जिसे खास समारोहों के दौरान राष्ट्रगान बजाने के लिए प्रयोग किया जाता है. दूसरी ओर, तीन गलियारे वातायन का एक साधन है जो हॉल में ताजी हवा देते हैं. जबकि अशोक हॉल के फ्रेंच विंडो से मुगल गॉर्डन का शानदार दृश्य दिखता है. दीवारें और स्तंभ पीले ग्रे मार्बल से बनाए गए हैं. फर्श और छत पर किए गए बेहतर कार्य इसका विरोधाभास है. इस जुएल बॉक्स के अन्य प्रमुख बिंदु हैं, पारसी कवि निजामी और एक फारसी महिला की पेंटिंग. ये अशोक हॉल के क्रमश: दक्षिणी और उत्तरी मेहराब के पीछे रखे गए हैं.

पहले थ्रोन रूम था, अब बना गणतंत्र मंडप! देखें- कितना भव्य है राष्ट्रपति भवन  का दरबार हॉल - Rashtrapati Bhawan durbar hall and Ashoka hall name changed  as Gantantra Mandal And Ashok

दीवारें शाही जुलूस का प्रदर्शन…

छत के केंद्र में एक चमड़े की पेंटिंग है जिसमें पारसी सात कज़ार शासकों में से दूसरा शासक फतह अली शाह का अश्वारोही चित्र दिखाया गया है जो अपने 22 पुत्रों की मौजूदगी में एक बाघ का शिकार कर रहा है. 5.20 मीटर लंबी और 3.56 मीटर चौड़ी यह पेंटिंग फतह शाह ने स्वयं इंग्लैंड के जार्ज चतुर्थ को भेंट स्वरूप प्रदान की थी. लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में भेंट की गई कलाकृति को लंदन के भारत ऑफिस लाइब्रेरी से मंगाया गया था. हॉल की दीवारें शाही जुलूस का प्रदर्शन करती हैं जबकि छतों को सीधे पेंट किया गया है. दीवारों को विशाल लटके हुए कैनवस से पूरा किया गया है.

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