अरूंधति रॉय के विवादित बयान पर 14 साल बाद चलेगा मुकदमा, जानें क्या है पूरा मामला ?

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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 45(1) के तहत 14 वर्ष पुराने मामले में लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है. 21 अक्टूबर 2010 को अरुंधति रॉय और प्रो. शौकत हुसैन ने दिल्ली के कोपरनिकस रोड स्थित LTG ऑडिटोरियम में एक कॉन्फ्रेंस में भाग लिया था. दोनों पर कॉन्फ्रेंस के दौरान भड़काऊ भाषण देने और कश्मीर को भारत से अलग बताने का आरोप लगा है. सोशल एक्टिविस्ट सुशील पंडित ने 27 नवंबर 2010 को रॉय और हुसैन पर एफआईआर दर्ज कराई थी.

उस कॉन्फ्रेंस में वरवरा राव, कॉन्फ्रेंस के एंकर और संसद हमले मामले में बरी हुए एसएआर गिलानी सहित अलगाववादी नेता भी शामिल किए गए थे. इस मामले के आरोपी एसएआर गिलानी और सैयद अली शाह गिलानी की मृत्यु हो चुकी है. दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल से यूएपीए की धारा 13 और भारतीय दंड संहिता की धाराओं 124A, 153A, 153B, 504, 505 के तहत अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी. दिल्ली एलजी ने पिछले अक्टूबर में दोनों के खिलाफ केवल आईपीसी धाराओं के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी. अब उन्होंने यूएपीए के तहत दोनों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है.

अरुंधति और हुसैन पर क्या है आरोप ?

यूएपीए की धारा 13 में किसी भी गैरकानूनी गतिविधि को उकसाने, प्रेरित करने या उसकी वकालत करने के लिए अधिकतम 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है. 124A भारतीय दंड संहिता की धारा राजद्रोह, 153A धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समुदायों में वैमनस्यता बढ़ाना और सद्भाव बिगाड़ना, और 153B राष्ट्र की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाना. आईपीसी की धारा 504 किसी को जानबूझकर अपमानित करने या उकसाने का प्रावधान करती है. धारा 505 जानबूझकर शांति भंग करने की कोशिश से जुड़ा हुआ है, यह कॉन्फ्रेंस कश्मीर में व्यापक अशांति के बीच हुआ था. तुफैल अहमद मट्टू नामक 17 वर्षीय लड़के की मौत आंसू गैस के गोले से चोटिल होने से हुई थी, जिसे लेकर घाटी में हिंसक प्रदर्शन हुए.

किस बयान पर बढी अरूंधति की मुश्किलें ?

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सुशील पंडित की शिकायत पर मामले में एफआईआर दर्ज की है, पंडित ने शिकायत की कि अरुंधति रॉय सहित कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने अपने भाषणों से “सार्वजनिक शांति और सुरक्षा को खतरे में डाला” और उन्होंने अपने भाषणों से “कश्मीर को भारत से अलग करने” की अलगाववादी सोच को बढ़ावा दिया. अरुंधति रॉय पर आरोप लगाया गया है कि, कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, ‘कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था.’ भारत के सैनिकों ने उस पर बलपूर्वक नियंत्रण किया है. मेट्रोपॉलिटन कोर्ट को शिकायतकर्ता सुशील पंडित ने कॉन्फ्रेंस का रिकॉर्ड प्रस्तुत किया था. इसी आधार के चलते कोर्ट ने अरुंधति रॉय और शौकत हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिए है.

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कौन है अरूंधति रॉय ?

अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका हैं, साल 1997 में उनकी पुस्तक “द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स” को बुकर पुरस्कार मिला था. यह उनका पहला उपन्यास था और बुकर प्राइज जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. साल 2014 में टाइम मैग्जीन ने अरुंधति रॉय को 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की अपनी सूची में शामिल किया था. सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके लेख दुनिया के प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं. वही साल 2021 में प्रकाशित उनके निबंध संग्रह ‘आजादी’ के लिए उन्हें सितंबर 2023 में 45वें यूरोपियन डे ल’एसाई लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, उनके कश्मीर और भारतीय सेना के बयानों पर बहस होती रही है.

 

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