EVM घमासान: अखिलेश यादव के आरोपों में कितनी सच्चाई ? कितनी सुरक्षा में रखी जाती हैं ईवीएम

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर विपक्षी पार्टियां सवाल खड़ा कर रही हैं।

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उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर विपक्षी पार्टियां सवाल खड़ा कर रही हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को ईवीएम फ्रॉड का मुद्दा उठाया है। हालांकि अखिलेश यादव के आरोपों को प्रशासन ने गलत बताया है।

मंगलवार को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी दक्षिण सीट के काउंटिंग सेंटर के बाहर एक गाड़ी को रोका, जिसमे ईवीएम ले जाई जा रही थीं। इसके बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉऩ्फ्रेंस कर ईवीएम से धांधली और छेड़छाड़ का आरोप लगाया। इस पर बीजेपी का कहना है कि अपनी संभावित हार को देखते हुए अखिलेश यादव बौखला गए हैं और इसलिए ईवीएम पर दोष मढ़ने लगे हैं।

ऐसे में सवाल ये है कि क्या सच में ईवीएम की सुरक्षा मतदान केंद्र से स्ट्रॉन्ग रूम तक की यात्रा में चिंताजनक होती है?

स्ट्रॉन्ग रूम का मतलब

ईवीएम मशीनों को पोलिंग बूथ से ले जाकर जिस कमरे में रखा जाता है उसको स्ट्रांग रूम कहा जाता है। स्ट्रांग रूम में अनाधिकारिक लोगों असंभव है। देश भर की स्ट्रॉन्ग रूम में ईवीएम की सुरक्षा  के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से चाक-चौबंद रहता है। स्ट्रॉन्ग रूम के भीतर की सुरक्षा केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों के द्वारा की जाती है। जबकि बाहर की सुरक्षा राज्य पुलिस बलों के हाथों में होती है।

कैसा होता है स्ट्रांग रूम का सुरक्षा घेरा

स्ट्रॉन्ग रूम के देख-भाल की जिम्मेदारी डीएम और एसपी के हाथों में होती है। राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि के मौजूदगी में ही स्ट्रॉन्ग रूम की सीलिंग की जाती है। साथ ही ये प्रतिनिधि भी अपनी तरफ से सील लगा सकते हैं।

स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर जाने का सिर्फ एक रास्ता होता है और यदि कोई दूसरा रास्ता या खिड़की है तो इसे सुनिश्चित करना होता है कि इसके जरिए किसी की पहुंच स्ट्रॉन्ग रूम तक ना हो।

स्ट्रॉन्ग रूम में डबल लॉक सिस्टम होता है। जिसकी एक चाबी रिटर्निंग ऑफिसर और दूसरी चाबी संबंधित लोकसभा क्षेत्र के असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास होती है।

स्ट्रॉन्ग रूम में बेसमेंट, कोई छत, किचन या कैंटीन, पानी टंकी और पंप रूम नहीं होने चाहिए। इसके अलावा सभी प्रत्याशियों को लिखित में सूचित किया जाता है कि वो अपने प्रतिनिधि को भेजकर स्ट्रॉन्ग रूम सुरक्षित है, इसको लेकर सुनिश्चित हो जाएं।

सीसीटीवी कैमरा:

स्ट्रांग रूम के एंट्री पाइंट पर सीसीटीवी कैमरा होता है। जिससे हर आने जाने वाले की तस्वीर इस पर रिकॉर्ड होती रहती है। सुरक्षा बलों के पास एक लॉग बुक होती है जिसमें हर पर्यवेक्षक, एसपी, राजनीतिक पार्टी, प्रत्याशी, एजेंट या कोई अन्य व्यक्ति हो सबके एंट्री का टाइम, तारीख़, अवधि और नाम का उल्लेख अनिवार्य रूप से करना होता है।

अगर काउंटिंग हॉल और स्ट्रॉन्ग रूम के बीच ज़्यादा दूरी है तो दोनों के बीच बैरकेडिंग होनी चाहिए और इसी के बीच से ईवीएम काउंटिंग हॉल तक पहुंचनी चाहिए। साथ ही वोटों की गिनती के दिन स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग हॉल तक ईवीएम ले जाने को अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगा कर रिकॉर्ड किया जाना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार का कोई फेरबदल ना हो।

क्या प्रत्याशी स्ट्रांग रूम की देखरेख कर सकता है:

प्रत्याशियों को भी स्ट्रांग रूम की देखरेख की अनुमति होती है। स्ट्रांग रूम एक बार सील होने के बाद काउंटिंग के दिन सुबह ही खोला जाता है। अगर विशेष परिस्थिति में स्ट्रांग रूम खोला जा रहा है तो यह प्रत्याशियों की मौजूदगी में ही संभव होगा।

 

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