श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को ‘मनहूस’ मानती है यहां की पुलिस, इस वजह से नहीं मनाती यह त्योहार…
यूपी के इस जिले में पुलिसकर्मी नहीं मनाते हैं जन्माष्टमी, वजह जानकार आप रह जाएंगे हैरान
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म जेल में होने के कारण उत्तर प्रदेश के सभी थानों में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। सूबे के सभी थानों, पुलिस लाइन और जेलों में तरह-तरह के आयोजन किए जाते हैं।
लेकिन, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले की पुलिस जन्माष्टमी को अभिशाप मानती है। कुशीनगर जिले के पुलिस लाइन सहित सभी थानों में इस त्योहार पर सन्नाटा रहता है। इसका कारण है 1994 में हुई एक घटना।
दरअसल 1994 में पडरौना कोतवाली में जन्माष्टमी के दिन डकैतों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में पुलिस के दो जांबाज इंस्पेक्टर सहित 7 सिपाही और नाविक शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद से ही कुशीनगर में इस त्योहार पर कोई रौनक नहीं रहती है।
यह है पूरी कहानी-
पहले देवरिया और कुशीनगर एक ही जिला हुआ करता था। 13 मई 1994 को दो जिलों में विभाजित हुआ। उस समय कुशीनगर को ही पडरौना जिला माना जाता था। 1994 में पुलिस महकमा पहली जन्माष्टमी पडरौना कोतवाली में बड़े धूमधाम से मनाने में लगा हुआ था।
इस मौके पर पुलिस के बड़े अधिकारियों सहित सभी थानों के थानेदार और पुलिस कर्मी मौजूद थे। तभी पुलिस को खबर मिली की कुबेरस्थान थाने के पचरूखिया घाट के पास जंगल पार्टी के आधा दर्जन डकैत ठहरे हैं और किसी बड़ी वारादत को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं।
मुखबिर से मिली इस खबर पर कुबेरस्थान थाने के थानाध्यक्ष राजेन्द्र यादव और उस समय के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तरयासुजान थाने के एसओ अनिल पाण्डेय आठ पुलिस के जवानों के साथ पचरूखिया घाट के लिए रवाना हो गए।
डकैतों के जाल में फंस गई थी पुलिस-
उस समय नदी को पार करने के लिए कोई पुल नहीं था। नाव ही एक मात्र साधन था। पुलिस नाव की सहायता से बांसी नदी को पार कर डकैतों के छिपने की जगह पर पहुंची तब तक डकैत वहां से फरार होकर नदी के किनारे छिप गए थे।
डकैतों के न मिलने पर पुलिस टीम वापस नाव के सहारे लौट रही थी। जैसे ही नाव बीच धारा में पहुंची डकैतों ने पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। इस बीच नाविक को गोली लगी गई जिससे नाव बेकाबू होकर पलट गई।
नाव में सवार सभी लोग डूबने लगे। डूब रहे लोगों में से तीन तो तैरकार बाहर आ गए लेकिन दो इंस्पेक्टर सहित 7 पुलिसकर्मी और नाविक शहीद हो गए। इस घटना के बाद कुशीनगर पुलिस के लिए जन्माष्टमी अभिशाप हो गई।
इसलिए नहीं मनाई जाती जन्माष्टमी-
दर्दनाक घटना के बाद जब भी जन्माष्टमी का त्योहार आता है तो पुलिस के मन में जन्माष्टमी का वह काली रात याद आ जाती है। इसके कारण कुशीनगर के पुलिस लाइन सहित किसी भी थाने में जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती है।
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