वेंकैया नाडयू का उपराष्ट्रपति बनना तय, ये है जीत की वजह
सोमवार को नए राष्ट्रपति के लिए वोटिंग हुई, और वोटिंग खत्म होने के बाद बीजेपी संसदीय दल की बैठक शुरू हो गई। जिसमें उपराष्ट्रपति के प्रत्याशी को लेकर मंथन हुआ। जिसमें काफी समय चर्चा में चल रहा वेंकैया नायडू के नाम पर मुहर लग गई। पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह वेंकैया नायडू को लेकर बाहर निकले और उनका स्वागत किया।
बता दें कि कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी को अपना उम्मीदवार बनाया है। जिसके बाद मंगलवार यानी आज वेंकैया नायडू और गोपालकृष्ण गांधी अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने का आज आखिरी दिन है। वेंकैया नायडू की तरफ से नामांकन के दो सेट दाखिल किए जाएंगे। पहले सेट में बतौर प्रस्तावक पीएम मोदी और अनुमोदक गृहमंत्री राजनाथ सिंह के हस्ताक्षर होंगे। दूसरे सेट में प्रस्तावक वित्त मंत्री अरुण जेटली और अनुमोदक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज होंगी।
गोपालकृष्ण गांधी को 18 दलों का समर्थन
बता दें कि गैर एनडीए गोपालकृष्ण गांधी के साथ वाम दल, टीएमसी समेत अन्य कई पार्टियों के विपक्षी नेता भी नामांकन के दौरान मौजूद रहेंगे। गांधी को जेडीयू सहित 18 गैर एनडीए दलों ने समर्थन किया है।
मंत्री पद से दिया इस्तीफा
एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। नायडू के जिम्मे आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय की कमान थी।
वेंकैया का उपराष्ट्रपति बनना तय
बता दें कि लोकसभा में एनडीए के सदस्यों की संस्या ज्यादा है, जिससे यह तय माना जा रहा है कि एनडीए उम्मीदवार नायडू ही उपराष्ट्रपति बनेंगे। हालांकि राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं की संख्या ज्यादा है। लेकिन कुछ गैर एनडीए दलों का भी वेंकैया नायडू को समर्थन मिलने के आसार नजर आ रहे हैं। वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित होते ही तमाम नेताओं और राजनीतिक दलों ने उन्हें बधाई दी। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने नायडू को समर्थन देने की बात कही, तो वहीं टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) की के कविता ने साफ किया कि उनकी पार्टी नायडू की उम्मीदवारी का समर्थन देगी।
कौन हैं वेंकैया नायडू
वेंकैया नायडू आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म 1947 में हुआ था। वेंकैया ने नेल्लोर के आंदोलन में हिस्सा लेते हुए विजयवाड़ा के आंदोलन का नेतृत्व किया। 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। नायडू शुरु से ही पार्टी के भरोसेमंद रहे हैं। उन्हें 1980 में भाजपा यूथ विंग और आंध्र प्रदेश विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। शुरुआती दौर में वे आंध्र भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी के बाद पार्टी ने उनका कद बढ़ाते हुए 1988 में उन्हें आंध्र भाजपा का अध्यक्ष बना दिया।
1993 से 2000 तक वेंकैया भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे। 2002 में वे पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वे दिसंबर 2002 तक अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2004 में वह दोबारा अध्यक्ष बने।
इसके बाद वह आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े। आपातकाल के बाद ही उनका जुड़ाव जनता पार्टी से हो गया। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा 2002 से 2004 तक उन्हें का अध्यक्ष बनाया गया। नायडू अटल बिहारी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे, और पीएम मोदी के सबसे खास मंत्रियों में से एक थे। उनके पास दो बड़े मंत्रालय भी थे।
कौन हैं गोपालकृष्ण गांधी
गोपालकृष्ण गांधी का जन्म 22 अप्रैल 1945 को हुआ था। वह देवदास गांधी और लक्ष्मी गांधी के बेटे हैं। सी राजगोपालचारी उनके नाना थे। सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद गोपालकृष्ण गांधी ने 1968 से 1992 तक एक आइएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वह स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए। बतौर आइएस अधिकारी उन्होंने तमिलनाडु में अपनी सेवाएं दीं।
वह 1985 से 1987 तक उपराष्ट्रपति के सेक्रेटरी भी रहे। वहीं 1987 से 1992 तक राष्ट्रपति के ज्वाइंट सेक्रेटरी और 1997 में राष्ट्रपति के सेक्रेटरी भी रहे। गोपालकृष्ण गांधी ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायोग में सांस्कृतिक मंत्री और लंदन में नेहरू सेंटर के डायरेक्टर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं। वह दक्षिण अफ्रीका के एक अत्यधिक लोकप्रिय उच्चायुक्त भी रहे, जहां 1996 में उन्हें नियुक्त किया गया था।
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