15 दिन में भूमि आवंटन की बात कह कर निवेशकों को लुभा रहे हैं CM योगी
उत्तर प्रदेश में प्रमुख निवेश परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने आवेदन प्राप्त करने के बाद अब भूमि के आवंटन के लिए 15 दिनों की समय-सीमा निर्धारित की है। राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017 के तहत विभिन्न श्रेणियों की निवेश परियोजनाओं के लिए भूमि के आवंटन की समयसीमा निर्धारित की गई है।
इसमें कहा गया है कि मेगा, मेगा प्लस और सुपर मेगा औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि का आवंटन आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर पूरा करने के लिए फास्ट ट्रैक किया जाएगा।
भूमि आवंटन के लिए एक तय किया जाएगा मासिक चक्र
भूमि आवंटन के लिए एक मासिक चक्र तय किया जाएगा, जिसके तहत एक निश्चित तारीख तक प्राप्त आवेदनों के लिए ई-नीलामी के माध्यम से आवंटन महीने के अंत तक किया जाएगा।
राज्य में व्यापार करने में आसानी में सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण, लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (एलआीडीए), गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण, सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण और दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड जैसे भूमि स्वामित्व एजेंसियों द्वारा लागू किया जाएगा।
यूपी में मिल रहे हैं निवेश के प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश के उद्योग मंत्री सतीश महाना के अनुसार, “उत्तर प्रदेश को कई बहु-राष्ट्रीय और राष्ट्रीय निवेशकों से निवेश के प्रस्ताव मिल रहे हैं, खासकर रक्षा, एयरोस्पेस, लॉजिस्टिक्स, मालगोदाम और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में।”
उन्होंने कहा, “राज्य में निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए, भूमि उपलब्ध कराना और त्वरित आवंटन नीति आवश्यक है।”
पारदर्शी तरीके से अपनी पसंद की भूमि का चयन
मंत्री ने आगे कहा कि सभी प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरण संभावित निवेशकों को पारदर्शी तरीके से अपनी पसंद की भूमि का चयन करने में मदद के लिए जीआईएस से जुड़े ऑनलाइन लैंड बैंक बनाने के लिए भी काम कर रहे हैं।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिव, आलोक कुमार ने कहा कि मेगा, मेगा प्लस और सुपर मेगा औद्योगिक इकाइयों के मामले में निवेश की गणना विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ के निर्दिष्ट मानदंड के आधार पर की जाएगी जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि निवेशकों को उनकी परियोजनाओं के लिए आवश्यकता से अधिक भूमि प्राप्त न हो।
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