सिर्फ दस रुपये में चेक होती हैं यूपी बोर्ड की कॉपियां, लगते हैं इतने मिनट ?

0

यूपी बोर्ड की कक्षा 10वीं और 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य शुरू हो गया है। हालांकि रिजल्ट के लिए छात्रों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। लॉकडाउन की वजह से सिर्फ ग्रीन जोन में ही कॉपियां चेक की जा रही हैं। जबकि ऑरेंज और रेड जोन में मूल्यांकन का काम शुरू नहीं किया गया है।

खैर इन सबके बीच हम आपको बताते हैं कि कॉपियों के मूल्यांकन की प्रक्रिया क्या है? कॉपियों के मूल्यांकन को लेकर छात्रों में कई बार शिकायतें रहती हैं। छात्र जानना चाहते हैं कि उनकी सालभर की मेहनत को एक टीचर कितने देर में परखता है? मूल्यांकन का क्या कोई खास पैमाना होता है? कुछ ऐसे ही सवाल परीक्षा देने वाले छात्रों के जेहन में रहता है।

कॉपियों की होती है कोडिंग-

उत्तर पुस्तिकाओं को चेक करने का एक खास मैकेनिज्म है। परीक्षा से लेकर मूल्यांकन तक के काम में शिक्षा विभाग का एक बड़ा तंत्र सक्रिय रहता है। इसकी तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है। बोर्ड एग्ज़ाम खत्म होने के बाद सभी उत्तर पुस्तिका एकत्रित की जाती हैं और उन्हें बोर्ड द्वारा चयनित विभिन्न केंद्रों में चेकिंग के लिए भेजा जाता। भेजने से पहले उत्तर पुस्तिकाओं से नाम और रोल नंबर वाला पेज हटा दिया जाता है और उसकी जगह एक गुप्त कोड लिख दिया जाता है जिसका पता सिर्फ बोर्ड के स्टॉफ को होता है। इस प्रक्रिया द्वारा बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि कॉपी चेक होने के दौरान कोई बेईमानी ना हो।

कॉपियों के मूल्यांकन का इतना मिलता है मेहनताना-

10वीं और 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं को चेक करने के लिए अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई है। परीक्षा केंद्रों पर शिक्षकों के बीच एक खास अंदाज में कॉपियों का वितरण किया जाता है। अगर 10वीं की उत्तर पुस्तिकाओं की बात करें तो एक टीचर एक दिन में अधिकतम 45 कॉपी चेक कर सकता है। मतलब एक कॉपी को चेक करने में टीचर के पास 10 से 12 मिनट का वक्त होता है। 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं को चेक करने वाले टीचर को एक दिन में 40 कॉपियां मिलती हैं। अगर टीचरों को मिलने वाले मेहनताने की बात करें तो 10वीं की एक कॉपी चेक करने के लिए टीचर को 10 रुपये मिलते हैं, जबकि 12वीं की कॉपी के लिए उन्हें 13 रुपये प्रति कॉपी का भुगतान होता है।

योगी राज में हुआ बदलाव-

सीएम योगी आदित्यनाथ, फाइल

योगी राज में यूपी बोर्ड की परीक्षा के दौरान काफी देखी जाती है। परीक्षा केंद्रों को नकल मुक्त बनाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। नतीजा ये हो रहा है कि लाखों की संख्या में छात्र परीक्षा छोड़ देते हैं। मसलन 2019-2020 के शैक्षणिक सत्र को ही लेते हैं। यूपी बोर्ड के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में इस बार 56 लाख 7 हजार 118 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। लेकिन नकल की सख्ती के चलते 4 लाख 70 हजार 846 परीक्षार्थियों ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी।

अब सवाल ये है कि जब परीक्षा में इतनी सख्ती के बाद भी परीक्षाफल बेहतर क्यों और कैसे है? जानकार बता रहे हैं कि परीक्षा में सरकार द्वारा सख्ती तो की जा रही है लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में काफी नरमी बरतने का निर्देश बरता जा रहा है। यही कारण है कि कड़ाई के बावजूद रिजल्ट बेहतर है।

यह भी पढ़ें: वाराणसी : दुकानें खुलते ही ‘OUT OF STOCK’ हुईं शराब !

यह भी पढ़ें: वाराणसी : पुलिस ने इस अंदाज में मनाया बच्ची का जन्मदिन, हो रही है तारीफ

[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्प इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More