लॉकडाउन इफेक्ट : वीडियो कॉलिंग से हो रहे अनुष्ठान व अंत्येष्टि
काशी विश्वनाथ मंदिर में ऑनलाइन दर्शन करने वालों की होड़
लखनऊ :कोरोना संकट के कारण रीति-रिवाजों, पूजा—पाठ Puja recitation में भी महाबंद हावी है। क्रिया-कर्म के तौर-तरीके भी बदलने लगे हैं।
कहीं अंतिम संस्कार के लिए वीडियो कॉल से वैदिक मंत्रोच्चारण सुन क्रिया-कर्म को किया जा रहा है तो कहीं ऑनलाइन पेमेंट कर पूजा-पाठ Puja recitation का दौर चल रहा है। यूपी में हर दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां आनलाइन Puja recitation हो रहे हैं।
अनलाइन सेवाएं
कई परिवारों को वीडियो कल पर मंत्रोच्चारण Puja recitation सुन अंतिम संस्कार करवाना पड़ा तो कईयों में ईश्वर दर्शन को अनलाइन सेवाएं लेने और चढ़ावा चढ़ाने की होड़ देखी जा रही है। लॉकडाउन के इस समय में श्रद्धालु लोग तकनीक के सहारे Puja recitation कर अपनी आस्था को बलवती कर रहे हैं।
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विश्वनाथ मंदिर में ऑनलाइन दर्शन
मंदिर ट्रस्ट के जनसंपर्क अधिकारी पीयूष तिवारी ने बताया कि कोरोना काल में भी लोगों की बाबा विश्वनाथ के प्रति आस्था बढ़ रही है। इसका सीधा उदाहरण ऑनलाइन दर्शन है।
उन्होंने कहा, “दर्शन में टाटा स्काई, काशी विश्वनाथ टेंपल ट्रस्ट नामक एप के अलावा मंदिर की बेवसाइट में एक लिंक दिया गया है, जिसकी मदद से लोग ऑनलाइन दर्शन कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले हमारी रिपोर्ट आई थी।”
विदेशों से 15 लाख रुपये चंदा
तिवारी ने कहा, “महाबंद के दौरान ऑनलाइन माध्यम से 20 लाख रुपये चंदा आया है। इसमें विदेशों से करीब 15 लाख रुपये चंदा आया है। यह सिलसिला लगातार बढ़ रहा है।”
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अंत्येष्टि के लिए लेनी पड़ी ऑनलाइन सेवा
गोरखपुर जिले के बड़हरा के रहने वाले सीताराम के पिता भगेलू की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार करना था, लेकिन महाबंद के कारण ऐसा अंतिम संस्कार के कर्मकांड कराने वाले पंडित आने में असमर्थ थे। फिर सीताराम ने पिपराइच के पं. घनश्याम चतुर्वेदी से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने ने भी असमर्थता जताई। आग्रह बढ़ा तो एक उपाय निकाला गया और वीडियो काल से Puja recitation व मंत्रोच्चारण सुन अंतिम संस्कार के क्रिया कर्म को पूरा करने पर सहमति बनी। फिर, घाट पहुंचे सीताराम ने वीडियो कॉल के जरिए मंत्र सुन अंत्येष्टि क्रिया पूरी की।
वीडियो कल के जरिये अंत्येष्टि
यहीं के जयप्रकाश की पत्नी मुन्नी देवी का अंतिम संस्कार करने की तैयारी पूरी कर ली गई थी, लेकिन कर्मकांड कराने वाले पुरोहित शहर से दूर थे। घाट पर आने में असमर्थता जता दी। फिर, जयप्रकाश ने पुरोहित से वीडियो कल के जरिये अंत्येष्टि व Puja recitation कराने की गुजारिश की और बात बन गई। पुरोहित ने मंत्रोच्चारण शुरू किया और अंत्येष्टि व अन्य क्रिया पूरी हुई।
तकनीक का सहारा
पंडित घनश्याम चतुर्वेदी ने कहा, “कोरोना के संकट के कारण अंतिम संस्कार संपन्न कराने के लिए तकनीक का ही सहारा लेना पड़ रहा है। राजघाट स्थित सहारा घाट और भटहट स्थित गंगास्थान घाट पर दो ऐसे अंतिम संस्कार हो चुके हैं।
इन्हें वीडियो कॉल के जरिए पुरोहितों ने मंत्रोच्चारण कर पूरा कराया है। घाट की दूरी भी ज्यादा थी। ऐसे में मजबूरन वीडियो कॉल के माध्यम से 35 मिनट में सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई। अन्य लोग भी इन्हें देखकर हमसे संपर्क कर रहे हैं।”
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