वाराणसी: स्टारबक्स के नए CEO लक्ष्मण नरिसम्हन, जिन्हें लैक्स कहा जाता है, इस कम्पनी के इतिहास में पहले ऐसे CEO हैं जिनकी इंटर्नल हाइअरिंग हुई थी। उन्होंने हावर्ड शुल्ज की जगह ली है, जिन्होंने स्टारबक्स को आज इस मुक़ाम पर लाकर खड़ा किया है। शुल्ज इससे पहले तीन बार इस कम्पनी के CEO रह चुके हैं।
दिल्ली में 20 साल से जयदा समय किया है काम
लैक्स जो की इससे पहले क़रीब 19 साल तक Mckinsey के दिल्ली ब्रांच में काम कर चुके हैं, उसके बाद pepsico और Reckitt Benckiser जसे बड़े संस्थानो में अपनी सेवाए दे चुके हैं। अब वो बतौर CEO सिएटल स्थित कॉफी कंपनी स्टारबक्स की कमान सम्भालेंगे। भारत के पुणे में जन्मे नरिसम्हन जब वो इंटरिम CEO के रूप में काम से पहले कम्पनी के 280 स्टोर ने वोट के रास्ते एम्प्लॉई यून्यन बनाने की माँग की थी, उस समय के तत्कालीन CEO हावर्ड शुल्ज इसके पूरे ख़िलाफ़ थे ।
क्या एम्प्लॉई यून्यन बनाएँगे लैक्स
55 वर्षीया लैक्स ने जिस दिन CEO पद सम्भाला था, उसी दिन उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए कम्पनी के 100 स्टोर हड़ताल पर चले गुए थे। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने है कि वे कंपनी के स्टोर में महीने में एक बार बरिस्ता के रूप में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वे ऐसा कंपनी की संस्कृति के करीब रहने, ग्राहकों परेशानियों को समझने और अवसरों की पहचान करने के लिए करेंगे।
जोईन करते हाई करमचारियों को लिखा पत्र
करमचारियों का भरोसा जीतने के लिए उन्होंने पद सम्भालते ही स्टारबक्स में सभी कार्यरत लोगों को एक पत्र लिखा और कहा कि वे हमेशा कंपनी के साझेदारों और उसकी संस्कृति के मजबूत पैरोकार बने रहेंगे।
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कॉफ़ी बनाने में महारथ हासिल है लैक्स को
कम्पनी के नेचर और उसके काम करने के तरीक़े को और समझने के लिए उन्होंने बरिस्ता बनाने का निर्णय लिया है । बरिस्ता बनाने की काला को सीखने के लिए उन्होंने 40 घंटे का एक सर्टिफ़िकेट प्रोग्राम किया है। बरिस्ता बनाने के बाद भारतीय मूल के CEO ने ये साफ़ कर दिया है की वे महीने में एक बार किसी भी स्टारबक्स स्टोर में हाफ़ डे कॉफ़ी बनायेंगे, ताकि करमचारियों की समस्याओं को समझ सके और कम्पनी की बेहतरी की लिए और सफल प्रयास कर सकें।
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