हरियाणा विवि से हिंदुत्व की घुट्टी पिलाने की शुरूआत

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अब विश्वविद्यालयों में भी हिंदुत्व की घुट्टी पिलाने की शुरूआत हो चुकी है। यह कार्य हरियाणा से शुरू हुआ है।

हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में जल्द ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक रहे एम.एस. गोलवलकर, दीनदयाल उपाध्याय और वी.डी. सावरकर के विचार शामिल किए जाएंगे, जो छात्रों में (हिंदू) राष्ट्रवाद की भावना जगाएंगे। विश्वविद्यालय की ओर से गुरुवार को यह जानकारी दी गई। केंद्र द्वारा वित्त पोषित विश्वविद्यालय ने कहा कि उसने स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, दयानंद सरस्वती, राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और आचार्य नरेंद्रदेव के विचारों को भी राजनीति शास्त्र के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।

विश्वविद्यालय की ओर से एक बयान में कहा गया, “यह निर्णय छात्रों के बीच उच्चस्तर की नैतिकता के सर्वोत्तम गुणों, नैतिक मानकों और (हिंदू) राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए लिया गया है।”

विश्वविद्यालय की ओर से इस बात को रेखांकित किया गया कि इन दूरदर्शियों ने राष्ट्रनिर्माण और (हिंदू) राष्ट्रवाद के विचार को सामने लाने में अद्वितीय और महत्वपूर्ण योगदान दिया।

विश्वविद्यालय के निर्णय का स्वागत करते हुए, उपकुलपति आर.सी. कुहाद ने कहा, “पाठ्यक्रम में यह बदलाव एक नई शुरूआत है, जो राजनीति शास्त्र के छात्रों को इन प्रमुख राजनीतिक विचारकों के परिप्रेक्ष्य और नजरिए की मदद से विषय को समझने में मदद मिलेगी।”

विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि इन राष्ट्रवादियों की शिक्षाएं राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर के द्वितीय वर्ष के छात्रों को उनके तीसरे और अंतिम सेमेस्टर में दी जाएंगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वैचारिक पैतृक संगठन है। भाजपा इस समय हरियाणा में में भी सत्तारूढ़ है। देश को महात्मा गांधी ने आजाद कराया, उनका राष्ट्रवाद सभी धर्मो को समान सम्मान देता है। लेकिन भाजपा का राष्ट्रवाद अलग है। इसमें हिंदू को छोड़कर अन्य धर्म बाहरी देश के धर्म हैं। राष्ट्रपिता के प्रति भाजपा में कितना सम्मान है, यह पार्टी अध्यक्ष के उस बयान से जाहिर है कि ‘महात्मा गांधी तो चतुर बनिया थे’ और नोटबंदी के बाद हरियाणा के एक मंत्री अनिल विज ने कहा था, “धीरे-धीरे नोटों से भी गांधी को हटाया जाएगा।”

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